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जय-जय वीर जवान (लेखनी प्रतियोगिता -26-Feb-2022)

 आज सुनाऊँ गाथा उनकी 
जो हैं बड़े महान 
प्राण न्योछावर कर दें पल में 
बचाने मातृभूमि की शान 
जय जय वीर जवान।

एक दिन हँसते- मुस्कुराते 
निकले थे भारत माँ के लाल 
पर उनकी खुशियों को देख 
दुश्मन के मन में छाया मलाल।  
धोखे से कर दिया था वार 
पीठ पीछे गोलियाँ दाग 
देख कर खून का गुबार प्रकांड 
याद आया जलियावाला कांड।
भागे न तब भी वीर 
खड़े हो गए सीना तान 
जय जय वीर जवान। 

बीच रास्ते में जंगल के 
बना दिया था कब्रिस्तान 
शहीद हुए थे अनेक जवान 
कैसे सहे यह हिंदुस्तान। 
उबल उठा खून का कतरा- कतरा 
उठाना पड़े चाहें कितना खतरा 
आतंकियों को देंगे जवाब मुंहतोड़ 
बना लिया उरी की योजना बेजोड़।
घर में घुसकर सबक सिखाया 
दुश्मन भी कुछ समझ ना पाया 
अपने भाइयों की शहादत को 
दिया नया आयाम 
जय जय वीर जवान। 

हे भारत के वीर सपूतों 
हम भी कुछ ऐसा कर जाएं  
देश के सम्मुख हो कोई चुनौती
कभी ना पीठ दिखाएं
अमन शांति का परचम लहरा 
बढ़ाये तिरंगे की शान
 जय जय वीर जवान। 

डॉ. अर्पिता अग्रवाल 
नोएडा, उत्तरप्रदेश

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8 Comments

Shrishti pandey

27-Feb-2022 05:37 PM

Very nice

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Abhinav ji

27-Feb-2022 09:24 AM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

27-Feb-2022 12:55 AM

बहुत खूब

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